Sunday, September 30, 2012

Guru Kon Hai...?


गुरमत के हिसाब से हुकम ही गुरु है। गुरबाणी ज्ञान गुरु है  १० सतगुर साहिबान में से किसी ने भी खुद को गुरु नहीं कहलवाया  उन्हें तो भगत ,  दास, दासन दास कहलवाने में ख़ुशी होती थी  दसम पातिशाह ने तो ऐलान किया था कि
 "जो हम को परमेश्वर उचरि है ॥ ते सभ नरकि कुण्ड महि परि है 
मैं हो परम पुरख को दासा ॥ देखनि आयो जगत तमाशा ॥ पन्ना ३२
  इस सब के बावजूद भी अगर हम उन्हें गुरु कहें, तो ये हमारी मुर्खता ही मानी जाएगी । आज कल के खुद को संत, गुरु , ब्रह्मज्ञानी कहलवाने वाले ढोंगी और पाखंडियों को जब गुरमत ज्ञान के तराजू में तोला जाता है तो उनका पलड़ा खाली निकलता है | गुरमत की कसौटी पर वो कहीं पर भी खरे नहीं उतरते परन्तु वो खुद को श्री श्री १००८, संत महापुरख , ब्रह्मज्ञानी और पता नहीं कितनी ही उपाधियों से प्रमाणित करते हैं और बोर्डो और इश्तिहारों में लिखवाते हैं 
 लोगों को अपने भ्रम जाल में फ़साने के लिए खुद को किसी भी कीमत पर कम नहीं आंकते  दरगाह (सचखंड) में वो सभी पंच परवान माने जाते हैं जिनके पास १ जैसा ब्रह्मगिआन और ध्यान हो परन्तु इन पाखंडियों का सब का गिआन भी अलग अलग है और ध्यान भी माया इकट्ठी करने के अलग अलग तरीकों में है |
- धरम सिंघ निहंग सिंघ
http://www.youtube.com/watch?v=pMBM4_DPPek&feature=plcp

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