Thursday, May 10, 2012

Parmeshwar Saagar Hai

हम पानी की बूँद की तरह हैं और परमेश्वर सागर है , इसलिए हमारी इच्छा (ख्वाइश, मर्ज़ी, हुकम, इंशा,मंशा, इरादा, भाणा ) उसकी इच्छा के आगे काम नहीं करती | जब जीव के अन्दर का ह्रदय हेमकुन्ट बन जाता है (ब्रह्म-अग्न से तृष्णा की अग्न ख़तम होकर शीतलता और ठंडक आ जाती है ) तब यह उसके हुकम(भाणे) में चलता है |

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